बिलग्राम/हरदोई।अंग्रेजों की दी हुई चीजों को बिना सोचे समझे अपनाना कभी-कभी खतरनाक साबित हो जाता है। भोले भाले हिंदुस्तानी जल्दी मालदार बनने के लिए अपने खेतों में फल फूल और छाँव वाले पेड़ों को दरकिनार कर मुनाफा कमाने के लिए यूके लिप्टस के पेड़ लगाने लगे ताकि जल्द तैयार होने वाले इन वृक्षों को काटकर ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाया जा सके लेकिन यही पेड़ अब वाटर लेवल के लिए खतरा बन गये हैं।
खेत से लेकर खलिहान तक सरकारी आफिसों से लेकर मकान तक जहां भी नजर दौडाओ दूर दूर तक सबसे ज्यादा एक ही पेड़ नजर आता है वो सफेदा यानी (यूके लिप्टस) का।
जानकार बताते हैं कि यूके लिप्टस की खेती जलस्तर के लिए बड़ा खतरा बन गई है। यूके लिप्टस की खेती वाले इलाके ब्लाक बिलग्राम, सांडी माधौगंज के गांवों में वाटर लेवल तेजी से खिसक रहा है।यही हाल रहा तो इन इलाकों में पानी की भारी किल्लत हो सकती है। सरकार को पेड़ की कमियां मालूम होने के बावजूद इसकी खेती पर रोक नहीं लगा रही है। अभी भी धड़ल्ले से किसान खेतों में इसके पौधे लगा रहे हैं। न सिर्फ जलस्तर बल्कि जमीन की सेहत के लिए भी यूके लिप्टस ठीक नहीं है। यह पौष्टिक तत्वों को खींचकर मिट्टी को बंजर बना देता है। कहा जाता है। कि प्रतिदिन यूके लिप्टस का एक पेड़ करीब 12 लीटर पानी खींचता है। यही कारण है कि यह पांच साल के भीतर ही तैयार हो जाता है। जबकि सामान्य पौधे प्रतिदिन तीन लीटर के आसपास पानी शोषित करते हैं।